***ख़्याल***
--शिप्रा देबनाथ
सायद तूमहे मेरि ख्याल भी नहीं आता होगा
मगर मुझे तुम्हारी यादें दिन भर सताया करते रहते हैं ,
ऐसा किया गुनाह कर दिया मैंने जो तुम मुज्ञको
अपने यादों से बाहर निकल दिया!
मुझे भुलाकर तुम अगर हो खुश तो
मुझे कोई ग़म नहीं कयु कि
तुम्हारा खुशी हि मेरि मक़सद थी हमेशा।
तुम खुश रहो जिन्दगी भर येही दुआ रहेगी
हरपल मेरी खुदा से,
मैं न आऊंगी राह में तुम्हारा बस येहि चाहुंगी
तुम्हें अपना मंजिल मिल जाए,
किया हुआ अगर तुम जो मुझे न मिले तो
जिसे मिले तुम वो तो होगी खुशनसीब बहुत,
उसकी दामन भर देना तुम
दुनिया कि हर खुशी से कि
वह हो दुनिया के सबसे खुशनसीब।
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शिप्रा देबनाथ
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Awesome Sis
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना है सिस् । बहुत खूबसूरत कविता । HeartTouching...
ReplyDeleteमैं शुभ्रा चक्रवर्ती